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Economics
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर
भारतीय अर्थव्यवस्था में करों का महत्वपूर्ण स्थान है। ये सरकार की आय के प्रमुख स्रोत होते हैं, जिनका उपयोग देश के विकास और लोक कल्याणकारी योजनाओं के संचालन के लिए किया जाता है। कराधान प्रणाली को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जाता है: प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) और अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax)। UPSC परीक्षा के संदर्भ में, इन दोनों करों की प्रकृति, विशेषताएं, लाभ, हानियां, और अर्थव्यवस्था पर उनके प्रभाव का गहन अध्ययन आवश्यक है।
1. प्रत्यक्ष कर:
प्रत्यक्ष कर वह कर है जो सीधे व्यक्ति या संस्था की आय या संपत्ति पर लगाया जाता है और उसी व्यक्ति या संस्था द्वारा सरकार को चुकाया जाता है। इस कर का बोझ सीधे करदाता पर पड़ता है।
1.1. उदाहरण:
- आयकर (Income Tax): व्यक्तिगत आय पर लगाया जाने वाला कर। यह एक प्रगतिशील कर है, अर्थात आय बढ़ने के साथ कर की दर भी बढ़ती है।
- निगम कर (Corporate Tax): कंपनियों और निगमों के लाभ पर लगाया जाने वाला कर।
- संपत्ति कर (Wealth Tax): वर्तमान में भारत में यह कर लागू नहीं है, लेकिन अतीत में यह कर व्यक्तियों की संपत्ति के मूल्य पर लगाया जाता था।
1.2. विशेषताएं:
- प्रगतिशील प्रकृति: आय या संपत्ति बढ़ने के साथ कर की दर बढ़ती है, जिससे आय के वितरण को कुछ हद तक समान करने में मदद मिलती है।
- सीधा बोझ: कर का बोझ सीधे करदाता पर पड़ता है, जिससे करदाताओं को अपने कर भुगतान का प्रत्यक्ष अनुभव होता है।
- कम कर चोरी की संभावना: क्योंकि कर सीधे आय या संपत्ति पर लगाया जाता है, इसलिए इसमें कर चोरी की संभावना कम होती है।
- सामाजिक समानता में सहायक: प्रगतिशील कराधान के माध्यम से आय के वितरण को कुछ हद तक समान करने में मदद मिलती है।
1.3. लाभ:
- राजस्व का स्थिर स्रोत: सरकार के लिए राजस्व का एक विश्वसनीय और स्थिर स्रोत प्रदान करते हैं।
- सामाजिक न्याय को बढ़ावा: प्रगतिशील कराधान के माध्यम से आय की असमानता को कम करने में मदद करते हैं।
- उत्तरदायित्व का भाव: करदाताओं को अपने कर भुगतान का सीधा अनुभव होने से उनमें नागरिकता और उत्तरदायित्व की भावना बढ़ती है।
1.4. हानियां:
- कर चोरी की प्रवृत्ति: हालांकि प्रत्यक्ष करों में कर चोरी की संभावना कम होती है, फिर भी कुछ लोग अपनी आय या संपत्ति को छुपाकर कर चोरी करने का प्रयास करते हैं।
- प्रशासनिक लागत: प्रत्यक्ष करों के संग्रहण और प्रशासन में काफी खर्च आता है।
2. अप्रत्यक्ष कर:
अप्रत्यक्ष कर वह कर है जो वस्तुओं या सेवाओं की खरीद पर लगाया जाता है और उपभोक्ता द्वारा भुगतान किया जाता है। हालांकि, इसे विक्रेता द्वारा सरकार को जमा कराया जाता है। इस कर का बोझ अंततः उपभोक्ता पर पड़ता है, लेकिन यह सीधे उस पर नहीं लगाया जाता।
2.1. उदाहरण:
- वस्तु एवं सेवा कर (GST): वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाने वाला एक व्यापक कर। यह एक मूल्य वर्धित कर है, अर्थात यह उत्पादन प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में मूल्य वृद्धि पर लगाया जाता है।
- सीमा शुल्क (Customs Duty): विदेशों से आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर।
2.2. विशेषताएं:
- प्रतिगामी प्रकृति: गरीब और अमीर दोनों को समान रूप से भुगतान करना पड़ता है, जिससे गरीबों पर इसका बोझ अधिक पड़ता है।
- अप्रत्यक्ष बोझ: कर का बोझ अप्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ता पर पड़ता है, जिससे करदाताओं को अपने कर भुगतान का प्रत्यक्ष अनुभव नहीं होता।
- अधिक कर चोरी की संभावना: क्योंकि कर वस्तुओं और सेवाओं की खरीद पर लगाया जाता है, इसलिए इसमें कर चोरी की संभावना अधिक होती है।
- राजस्व का महत्वपूर्ण स्रोत: अप्रत्यक्ष कर सरकार के राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
2.3. लाभ:
- राजस्व का व्यापक आधार: अप्रत्यक्ष करों का आधार व्यापक होता है, क्योंकि ये वस्तुओं और सेवाओं की खरीद पर लगाए जाते हैं जिनका उपयोग सभी आय वर्ग के लोग करते हैं।
- संग्रह में आसानी: अप्रत्यक्ष करों को संग्रहित करना अपेक्षाकृत आसान होता है, क्योंकि ये वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री के समय ही वसूले जाते हैं।
2.4. हानियां:
- प्रतिगामी प्रभाव: अप्रत्यक्ष करों का गरीबों पर अधिक बोझ पड़ता है, जिससे आय की असमानता बढ़ती है।
- महंगाई में वृद्धि: अप्रत्यक्ष करों के कारण वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे महंगाई में वृद्धि हो सकती है।
3. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों की तुलना:
विशेषता | प्रत्यक्ष कर | अप्रत्यक्ष कर |
---|---|---|
भुगतान | सीधे सरकार को | वस्तुओं/सेवाओं के माध्यम से |
बोझ | करदाता पर सीधा | उपभोक्ता पर अप्रत्यक्ष |
प्रकृति | प्रगतिशील | प्रतिगामी |
कर चोरी | कम संभावना | अधिक संभावना |
प्रशासन | जटिल | सरल |
सामाजिक न्याय | सहायक | बाधक |
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4. UPSC परीक्षा के लिए महत्व:
UPSC परीक्षा में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों से संबंधित प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं। उम्मीदवारों को इन करों की प्रकृति, विशेषताओं, लाभ, हानियों, और अर्थव्यवस्था पर उनके प्रभाव का गहन अध्ययन करना चाहिए। इसके साथ ही, कर सुधारों, GST, और अन्य संबंधित मुद्दों पर भी अपनी समझ विकसित करनी चाहिए।
5. निष्कर्ष:
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर दोनों ही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। दोनों करों के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं, और एक संतुलित कराधान प्रणाली के लिए दोनों का होना आवश्यक है। सरकार समय-समय पर इन करों की दरों और नियमों में बदलाव करती रहती है ताकि अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा किया जा सके और कर प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाया जा सके। UPSC उम्मीदवारों को इन परिवर्तनों और उनके प्रभावों के बारे में अपडेट रहना चाहिए।